Sunday 17 June 2012

दूसरों का हित

आज तुम्ही ने मार दिया 
उसकी  उन अच्छाइयोंको
जिन्हें देख
तुम उसके करीब आये थे ,
जिनके कारण तुमने ,
उसे अपनी अर्धांग्नी स्वीकारा था ,
वो तो सदा से ऐसी ही थी ,
सदा लोगों के हित के लिए खुद को जलाती,
जब जब वो तुम्हारे लिए जली,
तुम्हारे लिए भली बनी 
तब तब तुमने उसे सराहा ,
उसे ईश्वर कि अनुपम कृति बताया 
जो तुम्हे किस्मत से मिली थी |
पर आज 
उसे  उसकी भावनाओं पर अंकुश 
लगाने को बोला है तुमने ,
कैसे जियेगी 
वो अपने 
अर्थ को खो कर 
जो सदा से 
दूसरों का हित
करने से जुडा था |
जी लेने दो उसे उसकी खुशी
जो सत्यम शिवम सुन्दरम ,
और ओम् नमः शिवाये ,
मंत्रो जैसी है 
कर लेने दो उसे उसके मन का ,
पूर्ण कर लेने दो उसे उसका जीवन 
जिस हेतु वो आयी है 
कर लेने दो खुद को खत्म कर 
उसे दूसरों का हित|

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