Sunday 17 June 2012

कोई

इश्क बस दर्द है इसकी दवा नहीं है कोई
आँख सोयी नहीं है जब से मिला है कोई |
वो तो तार्रुफ को ताल्लुकात समझ बैठे हैं ,
इतनी जल्दी नहीं दिल से मेरे जुडता है कोई |
मुद्दतों साथ रहे फिर भी वो समझे न हमें ,
उनके  अतिरिक्त मेरे दिल को सताता न कोई |
आज हम दूर हैं उनसे मगर यकीं  है ये,
उनको भी मेरी कभी याद दिलाता है कोई |
ज़िंदगी पर तो वर्के चांदनी लगाई मगर ,
दिल के ज़ख्मो को हमें आके दिखता है कोई |
लौट आ मीत मेरे तेरे बिन अकेले हैं ,
अब तो तेरी ही झलक मुझको दिखता है कोई |
क्यों यकीं कर न सका हम तो तेरे बन के रहे ,
क्यूँ सवालों के ये जंजाल बनाता है कोई |
वक्त रहते तू अगर लौट के आया न इधर ,
तो मेरी मौत पे भी फूल चढ़ायेगा कोई |
बोल कर देख लिया प्यार दे के देख लिया ,
अब मेरे मौन के भी शब्द सुनाएगा कोई |

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