मौन के भी आज मैंने शब्द सुने हैं ,
और उसके साथ नए ख्वाब बुने हैं|
बोलता तो कुछ नहीं बस साथ चलता है ,
ज़िंदगी में ऐसे फसाने न सुने हैं |
आज पहली बार मैंने शख्स वो देखा ,
जिसने खुद ही दर्द के पैमाने चुने हैं |
कौन कहता है कि फफक कर वो रोया था ,
जिसके पैरों ने हमारे ज़ख्म चुने हैं |
उसकी मुस्कुराहटों और उसकी अदा में ,
ज़ख्म ले के प्यार के अफ़साने बुने हैं |
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