एक बार पलट कर देखो तो तुम बिन कैसा है हाल मेरा ,
जीवन जीवन से रूठा है देखो छूटा श्रंगार मेरा|
तुम थे तो घंटों मैं खुद को आइना दिखाया करती थी ,
तुम थे तो राधा मीरा बन बस तुम्हे बुलाया करती थी ,
तुम थे तो अपने नयनों में बस तुम्हे सजाया करती थी ,
तुम थे तो रति बन जाती थी और तुम्हे लुभाया करती थी ,
अब तुम बिन सूनी है आँखें तुम बिन बेकल है हाल मेरा ,
जीवन जीवन से रूठा है देखो छूटा श्रंगार मेरा|
वो रातें तुमको याद हैं क्या जो साथ बिताई हैं हमने ,
तेरे हांथों पर सर रख कर तुझे नींद दिलाई है हमने ,
क्या सीने पर तुझको मेरे सर का आभास नहीं होता ,
या याद नहीं आता तुझको, तुझसे लग कर मेरा रोना ,
मैं तेरी हूँ और तेरी ही मरते दम तक कहलाऊंगी ,
शायद कलयुग में जन्मी हूँ पर सतयुग कि कहलाऊंगी ,
आना होगा फिर लौट तुम्हे ये शिव पर है विश्वास मेरा ,
जीवन जीवन से रूठा है देखो छूटा श्रंगार मेरा|
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