उसकी बाँहों में हर रात ढलने लगे ,
वो मुझे अपने काँधे पे सर रखने दे ,
और खुशियों के परचम लहरने लगे |
बस यही एक अब ख्वाब बाकि मेरा |
दूरियां खत्म हों , फासले हों फ़ना ,
वो मेरे बन के दिल में उतरने लगे ,
सारी दुनिया चले उनके पीछे मगर ,
वो मेरे साथ दुनिया में चलने लगे |
बस यही एक अब ख्वाब बाकि मेरा|
अब यही स्वप्न है इन थकी आँखों का ,
कोई भी अब कहीं हमको दिखता नहीं ,
चाँद में वो दिखे और सितारों में भी ,
फूल बन कर वो मुझमे महकने लगे |
बस यही एक अब ख्वाब बाकि मेरा|
कल तलक कोई रिश्ता नहीं था जहाँ ,
आज वो सबसे मुझको ज़रूरी लगा ,
सांस वो बन गए जिस्म वो बन गए ,
और सीने में दिल बन धड़कने लगे |
बस यही एक अब ख्वाब बाकि मेरा|
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