मुझे माफ कर दो प्रिय मुझसे
अनजाने में भूल हों गयी,
तेरी बातें मान सकी ना ,
गलती ये अब शूल हों गयी |
जब तक तुम थे साथ
सदा ये लगा कहाँ जाओगे तज कर ,
सदा ठिठोली कि थी मैंने ,
हंस कर, रो कर , गा कर , सज कर |
पर इस पल भर कि दूरी ने ,
मुझको ये एहसास कराया ,
तुम बिन कुछ मैं नहीं
कि जैसे नहीं प्राण बिन कोई काया |
बिन तेरे ऐ प्रियतम मेरे ,
जीवन नगरी धूल हों गयी ,
मुझे माफ कर दो प्रिय मुझसे ,
अनजाने में भूल हों गयी |
मैं तो तेरी ही पगली हूँ ,
तेरी खट्टी तेरी मीठी ,
तुझसे अलग नहीं मैं कुछ भी ,
मैं बस तेरी सखी सहेली ,
तू ही हर रिश्ते में मेरे ,
तू धडकन तू सांसों में ,
बिन तेरे स्पर्श हमारी ,
काया भी बेनूर हों गयी ,
मुझे माफ कर दो प्रिय मुझसे ,
अनजाने में भूल हों गयी |
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