तुम्हारे साथ
थी जब मैं आज
क्यूँ धूप में तपती हवा भी ,
हों गयी थी शीतल बयार |
क्यूँ भूख का एहसास जागा था ,
क्यूँ पानी में भी लगी थी
गंगाजल जैसी मिठास ,
क्यूँ लगा था कि तेरे
सीने से लगकर रो लूं ,
और अपने किये सारे पाप धो लूं |
क्यूँ ईश्वर दिखा था मुझे तुमने ,
जब तुम्हारे पास होने के एहसास से
मैं खुश भी थी और सहमी भी ,
क्यूँ लग रहा था कि
कहीं खो न दूं ,
वो सुख जो जीवन में पहली बार मिला है ,
प्रेम पाने का सुख ,
बांटा तो बहुत था प्रेम ,
बहुत लोग थे जो थे मेरे लिए अपने ,
पर क्या मैं किसी का अपनी थी ,
अभी तक तो किसी ने इतना स्नेह
नहीं दिखाया था ,
किसी ने नहीं कहा था
कि मैं उसका जीवन हूँ ,
क्यूँ तुम्हारी ख़ामोशी में ढूँढा था मैंने
वो सब कुछ जो मैं सुनना चाहती
और शायद तुम कहना भी चाहते थे |
Bahut kuch sochta hu
ReplyDeleteki kahunga tumse milkar..
tumhare saamne aate hi,
sab kuch bhul jaata hu.....