बहुत अच्छा लगा है आज उसने हक जताया जब
उसे अच्छा नहीं लगता हमारा गैर से मिलना |
कली बन कर महकना तो हमारा सबको भाया था ,
नहीं मंज़ूर था लेकिन हमारा फूल सा खिलना |
हमारे ज़ख़्म जब तक दिख रहे थे लोग थे खुश पर ,
किसी को भी नहीं भाया हमारा ज़ख्म को सिलना |
हमें दोज़ख मिला तो दुश्मनों ने दीप जलवाए ,
मगर कुछ दोस्तों भी खुश थे वजह जन्नत का न मिलना |
उसे अच्छा नहीं लगता हमारा गैर से मिलना |
कली बन कर महकना तो हमारा सबको भाया था ,
नहीं मंज़ूर था लेकिन हमारा फूल सा खिलना |
हमारे ज़ख़्म जब तक दिख रहे थे लोग थे खुश पर ,
किसी को भी नहीं भाया हमारा ज़ख्म को सिलना |
हमें दोज़ख मिला तो दुश्मनों ने दीप जलवाए ,
मगर कुछ दोस्तों भी खुश थे वजह जन्नत का न मिलना |
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