Sunday 27 May 2012

वो दीवाली कि रात
बहुत उजियाली थी ,
बाबू ,सरला, मोना , विमला
सब खेल रहे थे ,
फिर उसकी आँखों में क्यूँ
एक उदासी थी |
वो भी तो छोटा बच्चा था
उसका भी तो जी करता था
कि उचक पड़े
और आसमान के सारे तारे
अपनी झोली में भर ले |
उसके घर के अंदर कोई था खांस रहा
और दर्द भरी आवाज़ से उसे पुकार रहा
लल्ला कुछ खाने को दे दे
बस एक निवाला ही देदे ,
वो दौड पड़ा घर के बहार
सरला कि अम्मा से बोला
चाची तू घर पर  बैठ ज़रा
मैं आता हूँ एक पल में बस ,


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