छोटे छोटे कदमों से हम नापते थे आकाश का कद ,
डग थे छोटे मगर सदा था मेरे विश्वासों में दम ,लगता था चोटी पर जा कर परचम लहरा दूं अपना ,
और सत्य कर डालूँ अपनी आँखों में बसता जो सपना ,
कोई रोक न पाया मुझको , था न इरादों में कुछ कम ,
डग थे छोटे मगर सदा था मेरे विश्वासों में दम।
धरती अपनी सी लगती थी , आसमान को ओढ़े थी ,
फूलों से थी दोस्ती अपनी , तितलियों संग खेली थी ,
सबको अपना ही कहती थी , ऐसा था ये भोला मन ,
डग थे छोटे मगर सदा था मेरे विश्वासों में दम ।
फूलों से थी दोस्ती अपनी , तितलियों संग खेली थी ,
सबको अपना ही कहती थी , ऐसा था ये भोला मन ,
डग थे छोटे मगर सदा था मेरे विश्वासों में दम ।
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