अंतर्नाद
Tuesday, 29 May 2012
खत
चंद लफ़्ज़ों को नाप तौल के रख रखा है
चंद अलफ़ाज़ टीएरे खत से चुरा रखे हैं '
चंद लाइने थी जिनको मिटाया था तुमने ,
उनको अब हमने तुम्हारे लिए रख रखा है ,
बस यही सोच रही हूँ अरसाल करूं या न करूं,
एक खत कब से तेरे नाम पे लिख रखा है |
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment