अंतर्नाद
Tuesday, 29 May 2012
जन्नत सा असर होगा
अगर तू साथ देदे तो मुकम्मल ये जहाँ होगा
लबों पर मुस्कराहट और सपनों का शहर होगा
मैं तेरी शहजादी और तू मेरा कुंवर बनकर
रहेंगे साथ जब धरती पे जन्नत सा असर होगा |
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