Sunday 27 May 2012

माँ

माँ किसी चेहरे का नाम नहीं ,
माँ तो वो है जिसे आराम नहीं ,
कभी रोटी से लिपट जाती है चटनी की तरह ,
और कभी मुझको झिड़कने के सिवा , 
उसके पास कोई और काम नहीं.................
बस सुबह उठ के चिडचिडाना शुरू करती है ,
सुबह उठता क्यूँ नहीं कह के मुझसे लड़ती है ,
लंच देती है मुझे बस्ता सही करती है, 
मेरी हर बात पे वो रोक टोक करती है ,
हाँथ में झाड़ू लिए दिन दिन भर वो ,
मेरा फैलाये हुए घर को साफ़ करती है ,

और जब शाम को आते है हमारे पापा ,

"क्या किया करती हो दिन भर ?" ये सुना करती है ,

हाँ माँ किसी चेहरे का नाम नहीं

वो तो वो है जिसे आराम नहीं.............................

रोज का सिर्फ यही ढर्रा है,

उनको तो टुन्न फुन्न करना है

कभी बस्ते की किताबों के लिए ,

कभी पढ़ने के रिवाजों के लिए ,

कभी मेरे सब्जी नहीं खाने के लिए ,

और कभी दूध बचाने के लिए,

कभी कहती है की सारा दिन मैं घर में रहता हूँ ,

कभी कहती हैं शनि पैर में है एक पल घर में नहीं रहता हूँ ,

कभी लगता है छोड़ छाड़ के सब भाग जाऊं,

पर मुझे याद फिर आ जाता है,

माँ किसी चेहरे का नाम नहीं,

माँ तो वो है जिसे आराम नहीं |


2 comments:

  1. माँ,उगता सूरज है, सूरज की धुप है माँ,

    माँ,दिन का उजाला, रौशनी का स्वरुप है माँ,,

    माँ, रातों में गोद है, गोद में नींद है माँ,

    प्यारी है माँ, प्यार है माँ,

    अब क्या और कहूं,,मेरे लिए तो संसार है माँ,,

    ReplyDelete
  2. मेरा बच्चा,
    जब हँसता,
    रोता,
    अठखेलियाँ करता है,
    ऐसा लगता है
    मानों लौट आया हो
    बचपन मेरा.
    बच्चे को देख
    जब ख़ुश होती हूँ तो
    महसूस होता है
    तुम मुझ में खड़ी--
    मुझी को निहारती हो.....
    माँ! तुम याद बहुत आती हो.......

    पता है माँ,
    बच्चे को जब दुलारती हूँ,
    प्यार करती हूँ,
    सोए को जगाती हूँ,
    रूठे को मानती हूँ,
    वही बातें मुहँ से निकलती हैं
    जो तुम
    मुझे कहा करती थी--
    मेरे होंठों से लोरी भी तुम्हीं सुनाती हो....
    माँ ! तुम याद बहुत आती हो..

    ReplyDelete