Friday 25 May 2012

स्वप्न

मैंने आज
एक अनोखा स्वप्न देखा
जिसमे एक छोटा सा बालक
फूलों को एक ओर हटा
काँटों से खेल रहा था |
और तभी
अचानक एक कांटा चुभ जाता है
और वह बिलख उठता है
माँ माँ |
तभी माँ जो आँगन के दूसरे कोने पर मांज रही थी बर्तन
बर्तनों को यूँ ही छोड़
करीब आती है
पहले पुचकारती है
धीमे से कांटा निकलती है
और फिर  कहती है
मेरे राज दुलारे
आज तू काँटों से खेल
तभी कल तुझे फूलों की सेज मिलेगी |

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