मेरी ही गलती है सारी
तेरा कोई कसूर नहीं
मरने का दस्तूर न आया
जीने का भी शऊर नहीं |
दिल के दरवाज़े पर सांकल न होती तो अच्छा था ,
हर पल ये एहसास तो रहता तू थोड़ा मजबूर सही |
दीवारों के कान नहीं थे इसका है अफ़सोस हमें ,
वरना कोई ये तो बताता उसको हम मंज़ूर नहीं |
पहली बार ये बारिश हमको अपनी अपनी नहीं लगी ,
उससे मिलकर न जाने क्यूँ ये मुझसे बेनूर हुयी |
मरने का दस्तूर न आया जीने का भी शऊर नहीं |
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