Tuesday 29 May 2012

चाँद की याद

लुट गयी रात किसी कमसिन सी ,
आसमां पर कोई भी चाँद न था ,
फिर सितारों को आ गया रोना ,
रुंध गयी वो गले की आवाजें ,
देखा जब चाँद को धरती के साइंस दानों ने ,
गुम हुआ अपने घर की नीली अंगनाई से ,
तब हुआ दर्द जगी प्यास उससे मिलने की ,
याद आया कोई था पास मेरे ,
जिसको मई रोज़ ही ठुकराता था,
आज जब रत अमावास की काली आयी है ,
बादलों में छिपा है चाँद मेरा ,
तब मुझे चाँद की याद आयी है..................

1 comment:

  1. चाँद को देखो चकोरी के नयन से
    माप चाहे जो धरा की हो गगन से।

    मेघ के हर ताल पर
    नव नृत्य करता
    राग जो मल्हार
    अम्बर में उमड़ता

    आ रहा इंगित मयूरी के चरण से
    चाँद को देखो चकोरी के नयन से।

    ReplyDelete