विहंगम दर्द कि गंगा न जाने आयी है कैसे ?
सुनामी सी हमारे दिल पे जाने छाई है कैसे ?
सभी को अपना समझा था पराया था नहीं कोई ,
तो तुझमे दुश्मनी की ये झलक फिर आयी है कैसे ?
तो तुझमे दुश्मनी की ये झलक फिर आयी है कैसे ?
समंदर दर्द का अंदर भरा है कैसे कुछ बोलें ,
कि अपनो में भी गैरों सी हरकत आयी है कैसे ?
कि अपनो में भी गैरों सी हरकत आयी है कैसे ?
सभी कुछ पाने कि चाहत में खो कर सब वो बैठा है ,
ना जाने उसमे चाहत कि ललक ये आयी है कैसे ?
कि दो नावों पे रखो पैर मत मिल पायेगा ना कुछ ,
कहावत ये पुरानी उसको अब समझाएं हम कैसे ?
बहुत ऊंचाइयों पर भी नहीं जिया जाता नहीं है दोस्त ,
कि दो नावों पे रखो पैर मत मिल पायेगा ना कुछ ,
कहावत ये पुरानी उसको अब समझाएं हम कैसे ?
बहुत ऊंचाइयों पर भी नहीं जिया जाता नहीं है दोस्त ,
उसे सीमाओं का मतलब भला बतलाएं अब कैसे ?
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