इन्हें समझाइये अपने तो बोलेंगे ही बोलेंगे ,
मगर ये इनपे है कि किसको अपना मानते हैं ये |
अगर बेबात ही इल्ज़ाम लगाते रहेंगे दोस्त ,
तो हम भी टूट जायेंगे ये भी जानते हैं ये |
अकेले में भी रोयेंगे इन्ही के सीने से लगकर ,
मगर मेरा कहा सब झूठ अब तो जानते हैं ये |
मगर ये इनपे है कि किसको अपना मानते हैं ये |
अगर बेबात ही इल्ज़ाम लगाते रहेंगे दोस्त ,
तो हम भी टूट जायेंगे ये भी जानते हैं ये |
अकेले में भी रोयेंगे इन्ही के सीने से लगकर ,
मगर मेरा कहा सब झूठ अब तो जानते हैं ये |
फरेबी कहते हैं हमको ज़रा कुछ सोच कर बोलें ,
कि उनकी राह में कांटे नहीं अब मानते हैं ये |
कि उनकी राह में कांटे नहीं अब मानते हैं ये |
हमारे हाँथ के ज़ख्मो से टपका है लहू दिल का ,
कि हर कतरे पे उनका नाम है ये जानते हैं ये |
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