Tuesday 3 July 2012

सोचती हूँ कुछ लिखूं
पर
पहले कागज का इनकार  ,
फिर  कलम का इनकार ,
और अंततः  ह्रदय का इनकार ,
ह्रदय  ने कहा
नहीं लिखना कुछ भी
क्यूँकि तुम लिखोगी
तो हर
मेरे भाव फिर कागज पर उतारोगी ,
और उन्हें कमज़ोर कर दोगी ,
पर वो नहीं जानता
कि अब कभी ह्रदय अपने भाव कहेंगे ही

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