Wednesday 13 June 2012

मुझे पहचान न पाया मुझे अपना बताता था ,
वो मुझसे दूर होकर के मुझे कितना सताता था ,
मैं उसको याद करके हर घड़ी रोती सिसकती थी ,
वो मुझको देख कर रोता सदा ही मुस्कुराता था |
उसे लगता था जब चाहेगा मुझको आज़मा लेगा ,
मुझे थामेगा  मन से और मन से ही भुला देगा ,
मगर उसको खबर थी ये नहीं कि हम भी शातिर है ,
उसी के वास्ते मिट कर उसी को

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