Monday 11 June 2012

आख़िरी अल्फाज़

कहने को बहुत कुछ है मगर कह न सकेंगे ,
इल्ज़ाम पुराने दुबारा सह न सकेंगे |
बातें जो बीत जाती है वो लौटती नहीं ,
दीवाने थे दीवाने हैं दीवाने रहेंगे |
कहने को बहुत कुछ है ..............................|
तू  भूल नहीं है कि जिसे भूल जायें हम ,
हम तेरे लिए जीते थे तुझ पर ही मरेंगे ,
कहने  को बहुत कुछ है .............................|
एक दौर वो होगा कि मेरी गोद में सर रख ,
दरिया तेरी आँखों से समंदर से बहेंगे |
कहने को बहुत कुछ है .............................|
जिस रोज नहीं होंगे तुझे याद आयेंगे ,
शिकवा भी न करेंगे शिकायत न करेंगे ,
कहने को बहुत कुछ है ...........................|
इन  शर्तों पे हमको दिया था प्यार उन्हों ने ,
हम दूर रहेंगे कभी न साथ चलेंगे ,
कहने को बहुत कुछ है ............................|
अब खत्म हैं हम और मेरी सांस भी मद्धम ,
चुपचाप उसे देखेंगे और कूच करेंगे ,
कहने को बहुत कुछ है ............................|
अब ज़िंदगी भी बोझ सरीखी हमें लगे ,
मर जायेंगे तो उसके सदा पास रहेंगे ,
कहने को बहुत कुछ है मगर ....................|

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