Monday 11 June 2012

कैसे मिलेगा हमको वो आसान राह से ,
उसको खुदा बना लिया जो था इंसान काम से |
कहते हैं काट देती  है पत्थर का दिल भी वो ,
बहती है जो नदी ह्रदय तूफ़ान थाम के  |
मुझको तो ख्वाब देखने के पंख दे के वो ,
उड़  भी चुका है मेरी नींदें उजाड़ के |
तकते रहे हम चाँद आसमान का यहाँ ,
वो खुश है किसी और को अपना सा मान के |
एक रोज नहीं, रोज ही पहलू में था मेरे ,
जो आज मुझसे रूठ के बैठा है जान के |
कोई मना के उसको मुझे सौंप के ला दे ,
हम ज़िंदगी भी हार देंगे उसके वास्ते |

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