Wednesday 15 August 2012

प्यार की शुरुआत

फिर हमसे एक गुनाह की शुरुआत हो गयी ,
सोचा नहीं समझा नहीं ये बात हो गयी |
कैसे तुम्हे समझाएं ये कैसे ये बताएं ,
हमने जलाये दीप फिर भी रात हो गयी |
वरदान में तो हमको मिली थी बड़ी खुशियाँ ,
फिर भी न जाने कैसे ये बरसात हो गयी |
हर बार की तरह है उसी राह पर हमदम ,
जिस राह पे काँटों से थी पहचान हो गयी |
जो हमको मिले थे हमारे दोस्त बन के वो ,
अपने नहीं थे बात सरेआम हो गयी |
फिर से करी रोशन है जिसने जीने की शमाँ ,
उस शख्स से फिर प्यार की शुरुआत हो गयी |

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