Saturday 11 August 2012

सत्य से परिचय हुआ है

आज दिल हल्का हुआ है ,
मान कर सबी गलतियां ,
फिर  सत्य से परिचय हुआ है |

कल तलक हम चल रहे थे ,
भिन्न  पर विश्वास करके,
और  खुद को छल रहे थे ,
अनृत का सम्मान करके,
मधु  सरीखी जिंदागी में ,
गरळ का संचन हुआ है |
                     सत्य से परिचय हुआ है |
दंभ उसको है बहुत , 
वो बन गगनचर उड़ रहा है |
छोड़ कर सारे अनुग्रह ,
राह अपनी चल रहा है ,
इसलिए वह स्वयं ,
अपने आप का दुश्मन हुआ है |
                    सत्य से परिचय हुआ है |
                   



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