आज दिल हल्का हुआ है ,
मान कर सबी गलतियां ,
फिर सत्य से परिचय हुआ है |
कल तलक हम चल रहे थे ,
भिन्न पर विश्वास करके,
और खुद को छल रहे थे ,
अनृत का सम्मान करके,
मधु सरीखी जिंदागी में ,
गरळ का संचन हुआ है |
सत्य से परिचय हुआ है |
दंभ उसको है बहुत ,
वो बन गगनचर उड़ रहा है |
छोड़ कर सारे अनुग्रह ,
राह अपनी चल रहा है ,
इसलिए वह स्वयं ,
अपने आप का दुश्मन हुआ है |
सत्य से परिचय हुआ है |
सत्य से परिचय हुआ है |
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