Sunday 27 May 2012

मैं तुम्हारी गोद में सर रख के सोना चाहती हूँ |

ज़िंदगी का अंत हो जब 
साथ होना चाहती हूँ ,
मैं तुम्हारी गोद में सर रख के सोना चाहती हूँ |
तेरी बाँहों में सिमट कर 
ज़िंदगी मैंने है पाई ,
तेरी बाँहों में ही छिप कर मौन होना चाहती हूँ |
मैं तुम्हारी गोद में सर रख के सोना चाहती हूँ |

मेरी आँखें तुझको देखे बिन
ना होने बंद पाएं ,
मैं खुदा से बस यही एक कौल लेना चाहती हूँ |

मैं तुम्हारी गोद में सर रख के सोना चाहती हूँ |

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