Sunday 27 May 2012

याद

अभी  याद  आते  हैं  वो  दिन  जब  खाना  खाने  की  तहज़ीब  भी  नहीं  थी  और  स्कूल  पहुँच  कर  प्रिंसिपल  सर  की  डांट  से  बचने  के  लिए  अपने  ही  रुमाल  से  अपने  जूते  साफ़  किया  करते  थे .और  उनके  जाते  ही  उनके  पीछे  उन्हें  मुह  चिढाया  करते  थे .

सभी  के  जीवन  की  कुछ  यादें  





चूरन  की  चटपट , अमरक  की  करछाहट याद  आती  है ,
जब  बचपन  गुम हो  जाता  है  याद  उसी  की  आती  है ............

नन्हे  हांथों  में  होता  था  बस्ता  खुद  से  भी  भारी,
फिर  भी  पैदल  ही  जाते  थे , करते  थे  हम  शैतानी ,
रोज़  लडाई  मारा  पीटी  गुत्थम  गुत्था  होती  थी ,
लड़  कर  जब  रोती  थी  सहेली , खुद  की  भी  आँखे  रोती  थी ,
खो  खो  का  वो  खेल  याद  है , जबरन  धक्का  देते  थे ,
आउट  करने  के  चक्कर  में  घंटो  दौड़ा  देते  थे ,

बाबा  जी  के  बैस्कोपे  की  याद  कहानी  आती  है ,
इमली  की  सी  खट्टी  यादें  , भेल  पूरी  तरसाती  है

चूरन  की  चटपट , अमरक  की  करछाहट  याद  आती  है ,
जब  बचपन  गुम  हो  जाता  है  याद  उसी  की  आती  है |............



बचपन  के  वो  यार  दोस्त  जिनसे  लड़ते  ही  बीता  पल ,
याद बुढ़ापे  में  आते  हैं  , मन  होता  है  फिर  बेकल ,
लौट  के  जब  उस  गली  से  गुज़रें  , आंसू  की  लहर  सी  आती  है ,
कैथे  की  कडवाहट  भी  तब  मीठी  सी  हो  जाती  है ,

चूरन  की  चटपट , अमरक  की  करछाहट याद  आती  है ,
जब  बचपन  गुम  हो  जाता  है  याद  उसी  की  आती  है ............

1 comment:

  1. Bachpan Ka ZAMANA Hota Tha,
    Khush¡yon Ka KHAZANA Hota Tha,!
    Chahat CHAAND Ko Paane Ki,
    DiL Titly Ka DEEWANA Hota Tha,!
    Rone Ki Waja Na Hoti Thi,
    Hasne Ka BAHANA Hota Tha.
    Khabar Na Thi Kuchh Subah Ki,
    Na Shaamon Ka THiKANA Hota Tha
    DAADi Ki Kahani Hoti Thi,
    Pariyon Ka FASANA Hota Tha
    Gham Ki Zuban Na Hoti Thi,
    Na Zakhmon Ka PAYMANA Hota Tha
    Barish Me Kaghaz Ki KASHTi
    Hr Mosam SUHANA Hota Tha
    Wo Khel Wo SAATHi Hote Thy
    Hr R¡shta N¡BHANA Hota Tha!!!

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